भले ही मुश्किलों ने हर कदम
मुझको सताया है l
मगर माँ की दुआओं ने मुझे
सबसे बचाया है l
वही इक नाम लेता हूँ खुदा
के नाम से पहले,
कि जिसने थाम कर उँगली मुझे
चलना सिखाया है l
हवा देने लगी है संदली
एहसास साँसों को,
ये’ गुलशन में हमारे कौन आ
कर मुस्कुराया है l
हुआ गाफ़िल मैं’ क्यूँकर होश
से अपने बताता हूँ,
मुझे इस बार साक़ी ने
निगाहों से पिलाया है l
सितम सहकर ज़माने के सदा तुम
मुस्कुराये हो,
न जाने किस मसाले से तुम्हे रब ने बनाया है l
बहुत ही खूब किस्मत पाइ है
तेरे दुपट्टे ने,
जिसे शानों पे’ तूने नाज़ से
अपने सजाया है l
मुझे प्यारी है’ हर ठोकर
लगीं जो आज तक मुझको,
सबक मुझको जहानत का इन्होने
ही पढाया है l
सदा देखी दुआ कायम तुम्हारे
होंठ पर हमने,
कि इतना खूबसूरत दिल कहाँ
से तुमने पाया है l
तबीयत शायराना हो गई
क्यूँ कर, बताते हैं,
ग़ज़ल ने थाम कर उँगली मुझे
खुद से मिलाया है l
@ 'विचित्र'
हवा देने लगी है संदली एहसास साँसों को,
हुआ गाफ़िल मैं’ क्यूँकर होश से अपने बताता हूँ,
सितम सहकर ज़माने के सदा तुम मुस्कुराये हो,
बहुत ही खूब किस्मत पाइ है तेरे दुपट्टे ने,
मुझे प्यारी है’ हर ठोकर लगीं जो आज तक मुझको,
सदा देखी दुआ कायम तुम्हारे होंठ पर हमने,
तबीयत शायराना हो गई क्यूँ कर, बताते हैं,
ग़ज़ल ने थाम कर उँगली मुझे
खुद से मिलाया है l
@ 'विचित्र'
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